Name: Vikas
सूरज की बाद्लों से आँख मिचोली चल रही है ..
तपती धरती को बारिश की ठंढी फुहारे मिल रही है !!
सब खुश है चारो और ...बस एक हमे छोड़ कर
हमे तो इस मोसम में बस आप की कमी खल रही है !!
तपती धरती को बारिश की ठंढी फुहारे मिल रही है !!!
आप आयेंगे नही आप को ख्याल ही कहा है हमारी खुशी का ॥
आप की और भी कुछ बादल कर दे हवा से हमारी बात चल रही है !!
तपती धरती को बारिश की ठंढी फुहारे मिल रही है !!!
बारिश की बूंन्दे कुछ इस तरह से गिरी है तन पे ..
जैसे आप ने छुहा हो हमे प्यार से .... आ जाओ अब तो ये रात भी ढल रही है !!
तपती धरती को बारिश की ठंढी फुहारे मिल रही है !!!
इसे आप शिकायत मत समझना ..हम नाराज़ नही है आप से ..
बस ये तो हमारी तमन्नाये है जो मचल रही है !!
तपती धरती को बारिश की ठंढी फुहारे मिल रही hai !!
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